परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।। परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।।
अब हो अमान्य वरना ऐ मानव तू कहलायेगा नादान। अब हो अमान्य वरना ऐ मानव तू कहलायेगा नादान।
कई राज़ों को खुद में समेटे पीढ़ियों को सामने से देखे गुज़रती चली जा रही हैं ये इमारत हैं ये, सदियों... कई राज़ों को खुद में समेटे पीढ़ियों को सामने से देखे गुज़रती चली जा रही हैं ये इ...
सौगंध मातृभूमि की तुमको- विजय युद्ध विधान करो। सौगंध मातृभूमि की तुमको- विजय युद्ध विधान करो।
फूंक कर जान अपनी हर काम में तू बदल विधि विधान दे। फूंक कर जान अपनी हर काम में तू बदल विधि विधान दे।
कफ़न के उस सफेद चादर में जाने कितनी ही मुस्कान बेरंग सी हो गयी थी कफ़न के उस सफेद चादर में जाने कितनी ही मुस्कान बेरंग सी हो गयी थी